पीड़ित और लाचार का साथ देने की बजाय हम प्रभावशाली और सक्षम को खुश करने में लगे रहते हैं ! ज़ाहिर तौर पर जायज़ सिफारिश का ढिंढोरा पीटने वाले भी परदे के पीछे नाजायज़ सिफारिश करते हैं ! हद तो तब होती है; जब ऐसा न मानाने पर, जायज़ को नाजायज़; और नाजायज़ को जायज़, साबित करने का माहौल पैदा कर दिया जाता है ¤
कभी सोचता हूँ; KABHI SOCHTA HOO کبھی سوچتا ہوں
कुछ कहूँ ! KUCHH KAHOO کچھ کہوں
कभी सोचता हूँ; KABHI SOCHTA HOO کبھی سوچتا ہوں
चुप रहूँ ! CHUP RAHOO چپ رہوں
आदमी जो कहता है; AADMI JO KAHTA HAI آدمی جو کہتا ہے
आदमी जो सुनता है !! AADMI JO SUNTA HAI آدمی جو سنتا ہے
ज़िन्दगी भर ZINDAGI BHAR زندگی بھر
वो सदायें VO SADAYE وو سداہیں
पीछा करती हैं !!!! PEECHHA KARTI HAI¤ پیچھا کرتی ہیں
¤JAIHIND जय हिन्द جے ہند
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