शनिवार, अप्रैल 28, 2012

सिफारिश

पीड़ित और लाचार का साथ देने की बजाय हम प्रभावशाली और सक्षम को  खुश करने में लगे रहते हैं !  ज़ाहिर तौर पर जायज़ सिफारिश का ढिंढोरा पीटने वाले भी परदे के पीछे नाजायज़ सिफारिश करते हैं ! हद तो तब होती है; जब ऐसा न मानाने पर, जायज़ को नाजायज़; और नाजायज़ को जायज़, साबित करने का माहौल पैदा कर दिया जाता है ¤

कभी सोचता हूँ; KABHI SOCHTA HOO  کبھی سوچتا ہوں
कुछ कहूँ ! KUCHH KAHOO   کچھ کہوں 
कभी सोचता हूँ; KABHI SOCHTA HOO کبھی سوچتا ہوں 
चुप रहूँ ! CHUP RAHOO چپ رہوں 
आदमी जो कहता है; AADMI JO KAHTA HAI  آدمی جو کہتا ہے 
आदमी जो सुनता है !! AADMI JO SUNTA HAI آدمی جو سنتا ہے 
ज़िन्दगी भर ZINDAGI BHAR  زندگی بھر 
वो सदायें VO SADAYE  وو سداہیں 
पीछा करती हैं !!!! PEECHHA KARTI HAI¤ پیچھا کرتی ہیں 
¤JAIHIND जय हिन्द جے ہند 
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