कल बीस दिसंबर ; 2012 वृहस्पतिवार को प्रातः तकरीबन 10.15 बजे निकटवर्ती गाँव 23 GB की थेहड़ में राजकीय उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय में पहुंचा। बच्चे आ रहे थे, अध्यापक गण भी कुछ ही समय में आ गए। गुरु जी ने मेरी आव-भगत करने का प्रयास किया। मैंने सरल तरीके से कह दिया - आपकी प्रार्थना में शामिल होने आया हूँ।
एक पंक्ति लड़कों की; और एक लड़कियों की।
एक पंक्ति लड़कों की; और एक लड़कियों की।
दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना।
वन्दे मातरम; सुजलाम सुफलां मलयज शीतलाम शस्य श्यामलां
त्वमेव माता च पिता त्वमेव;
और प्रतिज्ञा -
भारत मेरा देश है;
और फिर अंत में कबीर जी के दोहे-
लाली मेरे लाल की जित देखों लाल लाली देखन मैं चली; मैं भी हो गई लाल।
कबीरा इस संसार में जग हंसा ; ;हम रोये; ऐसी करनी कर चले, हम हँसे जग रोये।
मन अति प्रसन्न हुआ; और मैं 25 NP और PUBLIC INTERMEDIATE COLLEGE डोईवाला की यादों में चला गया।
मन अति प्रसन्न हुआ; और मैं 25 NP और PUBLIC INTERMEDIATE COLLEGE डोईवाला की यादों में चला गया।
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