दीपावली के तीन दिन जिला अस्पताल हनुमानगढ़ टाउन में रहने के दौरान एक बात अखरी, कि नर्सिंग स्टाफ इस बात से विवश है कि मरीज का भामाशाह कार्ड दर्ज करें । सभी सरकारी लाभ या अनुदान सहायता की योजनाएं इसी माध्यम से जुडे़ंगी। कल्याणकारी राज्य की अवधारणा में, यह दृष्टिकोण सही हो सकता है। इससे पूर्व भारत सरकार आधार कार्ड की विचारधारा लागू कर चुकी है, जिसका मामला उच्चतम न्यायालय तक हो आया है। इससे भी पहले वर्ष 1990 में, पठानकोट काण्डला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 15 के पश्चिम में पंजाब, राजस्थान व गुजरात में सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिकों को परिचय पत्र देने का कार्य जितना तेज शुरू हुआ, उतना ही टांय टांय फिस्स हुआ। सरकार में सरकार और फिर सरकार एक ही उद्देश्य के लिए, तीन अलग अलग निवेश। देखते हैं, कामयाबी का सिलसिला कहां सिरे चढ़ता है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें