शनिवार, अप्रैल 01, 2017

देर आयद دیر آید Be lated ::

न तो मुझे बैंकिंग प्रणाली का सैद्धांतिक ज्ञान है, नही मैं अर्थशास्त्री या विश्लेषक हूँ । मनमोहन जी और चिदम्बरम् साहब के आर्थिक सुधारों की विचारधारा भी अल्पबुद्धि तक नहीं पहुंच पाती है। 1972 में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, तब मैं देहरादून में हाईस्कूल का विद्यार्थी था। ज्यादा कुछ समझ तो नहीं आया, पर उन्हें इसका जबरदस्त जन समर्थन मिला था । 
1978 में श्री मोरारजी देसाई सरकार ने 500 व बड़े नोट विमुद्रीकृत किए, तो पक्ष या विपक्ष ने ज्यादा चर्चा नहीं की थी। उसके तत्काल बाद 2 फरवरी 1978 को मैं स्टेट बैंक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुर की रायसिंहनगर शाखा में अस्थायी खजांची लग गया था। मुझे अच्छी तरह याद है हमारे बैंक में 1000 के 27 नोट ही जमा थे । 
अब 8 नवम्बर 2016 को श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने 500 व बड़े नोट चलन से बाहर किए हैं, तो आमजन ने व्यक्तिगत असुविधा झेलकर भी जबरदस्त समर्थन किया जिससे सारे राजनीतिक विरोध नक्कारखाने की तूती बनकर रह गये। 
आज शनिवार 1 अप्रैल 2017 इसी कड़ी का अगला कदम है । आज से भारतीय स्टेट बैंक के सहयोगी - 
1- स्टेट बैंक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुर 
2- स्टेट बैंक आॅफ हैदराबाद 
3- स्टेट बैंक आॅफ पटियाला 
4- स्टेट बैंक आॅफ ट्रावणकोर 
5- स्टेट बैंक आॅफ मैसूर  
6- भारतीय महिला बैंक 
का विलय हो हो गया है। स्टेट बैंक आॅफ इन्दौर का विलय 2008 में हो गया था । 
इस विलय के साथ ही, भारतीय स्टेट बैंक 50 शीर्ष वैश्विक बैंकों की लीग का हिस्सा बन गया है । 
यह सब संविधान लागू होने के साथ 1950 में ही हो जाना चाहिये था। नहीं तो रियासतों व राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम 1956 के समय हो जाना चाहिये था । खैर चाहे इसके कारण राजनीतिक हों, प्रशासनिक हों, या फिर आर्थिक । देर से हुआ; सही फैसला !! साधुवाद ।।। 
 देर आयद। दुरुस्त आयद।। 

My Location Apny kunja, 29.609477 N; 74.269020 E 

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